तुम अगर भूलना सिखा देते। 

हम यकीनन तुम्हे भुला देते।।

तुमको हक़ था हमारी चाहत पर

एक तोहमत कोई लगा देते।।

दर्दे-दिल का इलाज़ इतना था

सिर्फ इक बार मुस्कुरा देते।।

और ये भी नही गवारा था

प्यार से ज़हर ही पिला देते।।

आज तक हमने जो कमाया है

सब तेरे प्यार में लुटा देते।।

हम तो तेरी रज़ा में राज़ी थे

तुम किसी ग़ैर से निभा देते।।

दिल की दौलत तुम्हे कुबूल न थी

हम भला और तुमको क्या देते।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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