मैंने भी संघर्षों से टकराना सीख लिया।

आँसू पीना सीख लिया, ग़म  खाना सीख लिया।।


अपनों के ठुकराने से ही जीना सीखा था

गैरों के अपनेपन पर मिट जाना सीख लिया।।


एक समय तक अपने बेगाने की चिंता थी

बड़ा हुआ तो दुनिया को अपनाना सीख लिया।।


तुमने आँसू देकर सोचा था मर जायेगा

मैंने रोते रोते हँसना गाना सीख लिया।।


मैंने इतना पाया प्रभु से ख़ुद में डूब गया

तुमने तो थोड़े में ही उतराना सीख लिया।।


सुरेश साहनी कानपुर

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