आईना बनकर के पछताता हूँ मैं।
दुश्मनी सब से लिए जाता हूँ मैं।।
एक दिन मानेंगे सब शंकर मुझे
हर हलाहल कंठ तक लाता हूँ मैं।।
एक दिन जल जायेगा तेरा ही घर
ऐ पड़ोसी तुझ को समझाता हूँ मैं।।
बाप मत बन चीन की चालें समझ
दोस्त से बढ़कर बड़ा भ्राता हूँ मैं।।
आसमां का कद लिए भटका बहुत
आज खुद कोफर्श पर पाता हूँ मैं।।
आज खुद उलझा हुआ हूँ हैफ है
उलझने औरों की सुलझाता हूँ मैं।।
मस्जिदों-मंदिर में भटका बेसबब
मैकदे की राह अब जाता हूँ मैं।।
सुरेशसाहनी
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