अठन्नी और चवन्नी का हिसाब रखता है।

वो हर सवाल के सौ सौ जवाब रखता है।।

ज़ुबान उसकी भले ही बहुत कंटीली है

मगर हंसी में वो ताजे गुलाब रखता है।।

ये कायनात भरी है उसी के जलवों से

जो अपने नाम का खाना ख़राब रखता है।।

न बल्ब से न चिरागों से उसके नूर मिला

वो एक दो नही सौ आफ़ताब रखता है।।

सुरेशसाहनी

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