हमारी उम्र का हम पर असर दिखने लगा है।

कि जैसे घर कोई अब खण्डहर दिखने लगा है।।

दिखावों में तो लौ रह रह भड़कती है हमेशा

ख़यालों में मगर बुझने का डर दिखने लगा है।।

तेरे जलवों की चर्चा है कि जलवों की लहर है

तेरे जलवों में आलूदा शहर दिखने लगा है।।

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