आज कुछ प्रोगराम है शायद।
इसलिए तामझाम है शायद।।
भीड़ ज्यादा है आज खाने में
और भी इंतेज़ाम है शायद।।
वो जो कुछ बददिमाग दिखता है
कोई आलीमकाम है शायद।।
मुद्दतों बाद मिलने आया है
उसको कुछ ख़ास काम है शायद।।
ख़्वाब में क्यों दिखा सलीब मेरा-
इश्क़ वालों में नाम है शायद।।
वो परेशान हाल लगता है
ये उसी का निज़ाम है शायद।।
वो जो अच्छी ग़ज़ल सुनी तुमने
साहनी का कलाम है शायद।।
सुरेश साहनी,कानपुर
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