#भोजपुरी_ग़ज़ल


ज़िन्दगी एक दिन तS मुअईबे करी।

मौत से नातेदारी निभईबे करी।।

उ हँसाई कबो आ रोवाई कबो

जिन्नगी बा  त खेला खिलईबे करी।।

सौ बरिस के तूं सामान करि लS सखी

तुहके नईहर त छूछे पठईबे करी।।

जिन्नगी लाज केतनो बचा के चली

मौत के हाथ एक दिन गंवईबे करी।।

नाम लिहले चलS प्यार बाँटत चलS

काम आवे के होई त अइबे करी।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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