#भोजपुरी_ग़ज़ल रउवा सभे शेयर कईल जा।


काहें हमहीं के मुजरिम बोलावल गइल।

उनसे अईसन भईल कि करावल गइल।।


मन से भोला न हम तन से  शंकर हईं

काहें हमके हलाहल पियावल गइल।।


कादो हमरा के करतिन समय ना रहे

कादो उनका से चिठियो न बाँचल गइल।।


आज हँस हँस के दुसरा से बोलली सखी

ए तरह से भी हमके सतावल गइल।।


रउरे तकला से केतना के जीवन मिलल

त काहें हमके नज़र से मुवावल गइल।।


हमरे मुवला पे दुश्मन भी अइलें मगर

उनसे दू डेग चल के न आवल गइल।।


साहनी लिख त दिहलें कहानी अपन

ना ते केहू पढ़ल ना सुनावल गइल।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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