इक हसीं शौके-वहम पूजा है।

हमने पत्थर का सनम पूजा है।।

हमको मंज़िल भी कहाँ मिलनी थी

उम्र भर ख़ाक़-ए- क़दम पूजा है।।

रहती दुनिया को जलाकर हमने

हैफ़ अहसासे- अदम पूजा है।।

आपको जब कि ख़ुदा मान लिया

आप कहते हैं कि कम पूजा है।।

हमने पूजा है आदमियत को

आपने जात धरम पूजा है।।

लोग मरते है फ़क़त खुशियों पर

हमने तो आपका ग़म पूजा है।।


सुरेश साहनी ,कानपुर

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