तुमसे अनजानापन क्या है।

इसमें दीवानापन क्या है।।

तुमने दर्द दिया हम रोये

इसमें मनमानापन क्या है।।

तुमको जितना पढ़ लेते हैं

अपने आगे दरपन क्या है।।

क्यों हमसे रूठे रहते हो

आख़िर ऐसी अनबन क्या है।।

सुरेश साहनी, कानपुर

घाव पे घाव दिये जाते हो

ऐसा भी अपनापन क्या है।।

बीच भंवर में छोड़ रहे हो

पूछ रहे हो उलझन क्या है।।

खुद का होश नहीं रहना गर

प्यार है तो पागलपन क्या है।।

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