हम तो ग़म में खुश रहते हैं।
रंज़ो-अलम में खुश रहते हैं।।
उनको हैरत है हम कैसे
इस आलम में खुश रहते हैं।।
दरिया सागर में मिलने दो
हम संगम में खुश रहते हैं।।
दानिशवर समझे जो खुद को
सिर्फ वहम में खुश रहते हैं।।
तुम खुशियों को बाहर ढूंढ़ो
हम तो हम में खुश रहते हैं।।
Comments
Post a Comment