जरा हम तीरगी में आ गए हैं।

मेरे साये किधर कतरा गये हैं।।

मैं खुश हूँ इश्क़ से आज़ादियों में

 हमारे ग़म से वो झुंझला गये हैं।।

हमारी आरजुएं मिट चुकी हैं

तुम्हें खोकर हमें हम पा गये हैं।।

हमें रोशन करेंगी बिजलियाँ ही

अगरचे गम के बादल छा गए हैं।।

हमारा ज़िक्र होगा महफिलों में

हजारों गीत हम जो गा गये हैं।।

बड़ी तहज़ीब से हमसे मिले सब

लगा हम मैकदे में आ गए हैं।।

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