एक कंवल को कंवल बना दें।
तुम पर भी इक ग़ज़ल बनादें।।
तुम तो खुद इक ताजमहल हो
कहो तुम्हारा बदल बना दें।।
इतनी कुव्वत फ़क़त ख़ुदा में
है कि तेरी नकल बना दे।।
तू चाहे तो मुमकिन भी है
मेरा हर दिन अज़ल बना दे।।
तुझको मौला ने भेजा है
मेरा जीवन सफल बना दे।।
एक कंवल को कंवल बना दें।
तुम पर भी इक ग़ज़ल बनादें।।
तुम तो खुद इक ताजमहल हो
कहो तुम्हारा बदल बना दें।।
इतनी कुव्वत फ़क़त ख़ुदा में
है कि तेरी नकल बना दे।।
तू चाहे तो मुमकिन भी है
मेरा हर दिन अज़ल बना दे।।
तुझको मौला ने भेजा है
मेरा जीवन सफल बना दे।।
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