प्यार कुछ यूं भी कर लिया करिए।

सिर्फ बाहों में भर लिया करिए।।


इश्क  की राह से  गुजरते  ही

सिर हथेली पे धर लिया करिए।।


हम कहां तक बनेंगे आईना

आप ख़ुद सज संवर लिया करिए।।


फिर नकल पांच बार ही की क्यों

नाम आठों पहर लिया करिए।।


आप अब भी भरम में हैं खालिक 

कुछ जमीं पर उतर लिया करिए।।


फर्ज क्या सब हमीं पे लाज़िम है

खुद भी दिजै  अगर लिया करिए।।


क्या पता अब भी मुंतजिर हो दिल

इस गली से गुज़र लिया करिए।।


सुरेश साहनी, कानपुर

९४५१५४५१३२

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