उनके सालों की मुहब्बत देखिये।
जम के कर डाली हजामत देखिये।।
घर में बीवी और बाहर है पुलिस
और क्या होगी क़यामत देखिये।।
इक ज़रा बाहर टहल कर आईये
और फिर अपनी मज़म्मत देखिये।।
हम तो फिर भी साहिबे ईमान हैं
शेख कुछ अपनी भी हरकत देखिये।।
धो दिए चुपचाप बरतन और क्या
खान साहब की ही हालत देखिये।।
अब मैं समझा हश्र के इंसाफ को
सिर्फ़ मर्दों को है जन्नत देखिये।।
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