हक़ो-हुक़ूक़ के लंगर जो डाल रखे हैं।

इसी से हमने समन्दर सम्हाल रखे हैं।।

उरुज़े हुस्न पे इतना गुरुर ठीक नहीं

इसी के बाद ख़ुदा ने ज़वाल रखे हैं।।

हमारे हौसलों से आसमान झुकता है

कि हमने आस के पत्थर उछाल रखे हैं।।

कभी जो वक्त मिले आके हमसे ले लेना

हमारे पास तुम्हारे ख़याल रखे हैं।।

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