मेरे हितैषी मित्रगण और प्रशंसक अक्सर सलाह देते हैं कि आप अपना रचना संग्रह निकालें। मैंने बताया कि लगभग दो हजार कविताएं हैं। सात आठ कहानियां हैं,दर्जन भर निबन्ध हैं।दो चार व्यंग भी हैं। कवियों में जो ब्राण्ड नेम बन चुके है उन को छोड़कर हिंदी कवियों की दुर्दशा पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है।अब कुछ भी लिखकर कविता के नाम से चेप देने वालों की बात अलग है।ऐसे लोग हर महीने एक कविता संग्रह निकाल देते हैं। कई बार भ्रम होने लगता है।कवि सम्पन्न हो जाता है या सम्पन्न ही कवि होते हैं। कानपुर के कवियों पर तमाम संकलन निकल चुके हैं।अभी तक मैं किसी मे भी स्थान पाने में असमर्थ रहा हूँ। मेरे एक मित्र हैं वे अक्सर कहते हैं कि वे रहस्यवादी कवि हैं।उनकी कविताएं हमारी समझ मे नहीं आती।वे कहते हैं,यही तो रहस्य है।अभी उनकी  गुणवत्ता पर एक कविता को फैक्ट्री के मुख्य सूचनापट पर स्थान दिया गया। 1000/₹ पुरस्कार स्वरूप भी मिले। उसमें उन्होंने लिखा था 

   अपने जी एम पी के दत्ता

    हमें बढ़ानी है गुणवत्ता

      रोजी रोटी कपड़ा लत्ता

       कूड़ा करकट कागज गत्ता

         सारे काम करेंगे मिलकर

          सफल करेंगे हम गुणवत्ता.......

ऐसे ही पत्ता अलबत्ता और सिंगट्टा आदि से मिलकर उन्होंने एक शीट भर दी थी।

#क्रमशः

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