जिसको अब तक पूजता था
आप किंचित वह नहीं हैं।
वो हमारा देवता था
आप किंचित वह नहीं हैं।।
अनगिनत घड़ियाँ गुज़ारी
अर्चना में साधना में
रात दिन खोए रहे हम
प्रेम की आराधना में
जो हमारी कामना था
आप किंचित वह नहीं हैं।।
जिसको अब तक पूजता था
आप किंचित वह नहीं हैं।.......
हृदय मीरा देह तुलसी
दृष्टि पावन सूर जैसी
और अंतस में सनम की
छवि ख़ुदा के नूर जैसी
काम रति से अलहदा था
आप किंचित वह नहीं हैं।।
जिसको अब तक पूजता था
आप किंचित वह नहीं हैं।........
सुरेश साहनी ,कानपुर
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