चाँद तारों पे क़दम थे अपने।

जब तलक आप सनम थे अपने।।

आप हैं अपने वफादारों में

हाय रे क्या क्या वहम थे अपने।।

क्या ख़बर थी वो सितमगर भी हैं

जो कभी अहले-करम थे अपने।।

कौन अपना है ज़माने में जब

तेरी महफ़िल में भी कम थे अपने।।

वो मेरे हाल पे कितने खुश हैं

जिनके हर रंज़ो-अलम थे अपने।।

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