जब बस्ती में आग लगेगी

हमीं बुझाएंगे।

उससे पहले आग लगाने 

भी हम आएंगे  ।।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई

आपस में भाई

इनको पहले लड़वाएंगे

फिर मिलवायेंगे।।

जाति धर्म भाषा मजहब से

भूख नहीं मिटती

हम इनके द्वारा ही अपनी

भूख मिटायेंगे।।

राजनीति को धर्म समझना

बड़ी मूर्खता है

किन्तु धर्म की राजनीति को

हम अपनाएंगे।।

शेमलेस होकर ही हम

संसद में पहुंचेंगे

फिर संसद में शेम शेम

हम ही चिल्लायेंगे।।

सुनते है पिछले डिब्बे में 

झटके लगते हैं

हम गाड़ी में पिछला डिब्बा

नहीं लगाएंगे।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है