कर्तव्य नदारद है सद कर्म नदारद है।

बेशर्म कलमकारों की शर्म नदारद है।

अन्याय के प्रतिकूल अब आवाज नहीं उठती

इन भोथरी कलमों का कवि धर्म नदारद है।।


सुरेश साहनी कानपुर

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