मैंने कह तो दिया नया क्या है।
इसमें सौ बार पूछना क्या है।।
हौसला है तो चल रहा हूँ मैं
वरना आंधी में इक दिया क्या है।।
तुमको देखा तो प्यार जाग उठा
क्या बताऊँ कि माजरा क्या है।।
इश्क़ होता है दर्दे-दिल की दवा
दर्द है इश्क़ तो दवा क्या है।।
चाहता हूँ सलामती उनकी
मैं नहीं जानता दुआ क्या है।।
यूँ ज़रूरत हैं हम ख़ुदा की भी
हम नहीं हैं तो फिर ख़ुदा क्या है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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