अकेले तुम नहीं हो यार उनके।

यहां है और भी बीमार उनके।।


कोई मर जाए तो उनकी बला से

वहां है खून में व्यापार उनके।।


ये दहकां क्यों नहीं समझें हैं याराब

कभी होंगे नहीं जरदार उनके।।


हसन बैयत तुम्हें क्यों कर मिलेगी

अगर हैं मोमिनों अंसार उनके।।


उन्हें रुसवाइयों का डर भी क्यूं हो

सहाफी उनके हैं अखबार उनके।।


यहां काजी है जिनका भीड़ उनकी

शहर उनका है संगोदार उनके ।।


वकील उनका यहां मुंसिफ उन्ही का

मुकदमा उनका पैरोकार उनके।।


सुरेश साहनी , कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है