चलो भूलें सभी आयी गयी।
कहाँ किसकी कमी पाई गई।।
सज़ा ही है जो बातें इश्क़ की
भरी महफ़िल में सुनवायी गयी।
हमी फरियाद की खातिर गये
ख़ता भी अपनी ठहरायी गयी।।
कहाँ थे कुरुकुल और कुलगुरु
भरे दरबार जब लायी गयी।।
बनाते हैं सभी राहें यहां
मिली कब राह बनवायी गयी।।
Comments
Post a Comment