संग रहना सदाओं में न रखना।

भले अपनी दुआओं में न रखना।।

मै खुश हूँ तेरे ग़म के साथ मुझको

ख़यालों के ख़लाओं में न रखना।

अदाएं तुम से बेहतर तो नहीं हैं

कभी खुद को अदाओं में न रखना।।

मुहब्बत तो तेरे बुत से है फिर भी

सनम ख़ुद को ख़ुदाओं में न रखना।।

मुहब्बत में खुदी का काम क्या है

मुहब्बत को अनाओं में न रखना।।

चुरा ले आँख से काजल न कोई

बदन अपना घटाओं में न रखना।।

तुम्हें हर्फे वफ़ा से क्या गरज है

मुझे अपनी वफाओं में न रखना।।

मुझे जलने की आदत पड़ गयी है

मुझे चाहत की छांवों में न रखना।।

तुम्हारे दिल के मंदिर में नहीं हूँ

सम्हलना फिर भी पांवों में न रखना।

जफ़ा की है तो फिर तस्लीम कर लो

मुहब्बत को भुलावों में रखना।। 

करोना से बड़े ख़तरे हैं इनसे

सियासी जीव गाँवों न रखना।।

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