आप इक ऊँचे सुखनवर हैं तो हैं।
ठीक है पर हम भी शायर हैं तो हैं।।
आपके डर से ज़मी क्यों छोड़ दें
हाँ मगर नज़रें फलक पर हैं तो हैं।।
आप का कद ताड़ जितना है तो क्या
हम जो छतरी के बराबर हैं तो हैं।।
आसमां पर चढ़ के वो चमका करे
अपने घर मे हम मुनव्वर हैं तो हैं।।
क्या सिकन्दर कुछ ज़मीं से ले गया
ठीक है फिर हम कलंदर हैं तो हैं।।
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सुरेश साहनी ,कानपुर
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