हमारे साथ ही दुख दर्द की लंबी कहानी
खत्म हो जानी है एक दिन
जिसको सुनने की तुम्हें फुर्सत नहीं है
और सुनाने के लिए भी
पास मेरे वक्त कम है
इसलिये बीती कहानी भूल जाना
क्या उसे सुनना सुनाना
जो बची है आओ उस को
नाच गा कर काट डाले
ज़िन्दगी उत्सव बना लें।।
काट कर देखो कभी
रोने से दिन कटते नहीं हैं
यूँ भी सबने रोके काटे हैं बहुत दिन
जो बची है उसको हँस कर ही बिता लें
जिंदगी उत्सव बना लें।।
सुरेश साहनी
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