दिन में अक्सर  बात तुम्हारी आ ही जाती है।

दिन ढलते ही रात तुम्हारी आ ही जाती है।।

जागूँ तो यादों की नेमत पाता रहता हूँ

ख़्वाबों में सौगात तुम्हारी आ ही जाती है।।साहनी

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