अगर बिकता तो मैं क्या  काम करता।

बस अपनी नस्ल को नीलाम करता।।


शिकायत बेवज़ह अजदाद को थी

कहाँ था नाम जो बदनाम  करता।।


मशक्कत से ज़ईफ़ी जल्द आई

पता होता तो मैं आराम करता।।


सियासत एक अच्छा कैरियर था

अगर करता तो मैं भी नाम करता।।


अगर शमशीर से दिल जीत सकता

तो मजनूँ  खूब कत्लेआम करता।।


मैं था  हालात से  मजबूर वरना

गली में तेरी सुबहो-शाम करता।।


तेरी आँखों की मस्ती काम आती

मुझे हक था मैं शौक़-ए-ज़ाम करता।।

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