गिरेगी जुल्म की दीवार तय है।

हमें लगता है इक यलगार तय है।।


पहरुए देश के सोने लगे जब

समझना कृष्ण का अवतार तय है।।


तो क्या सच हौसला भी हार जाए

भले ही आज सच की हार तय है।।


मुहब्बत में अगर तासीर है तो

मिलेंगे जिंदगी के पार तय है।।


अगर हो नफरते हर इक जेहन में

तो होना मुल्क का बीमार तय है।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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