हमने जब पत्थर को बेहतर मान लिया।
समझो दुनिया भर को बेहतर मान लिया।।
वो ख़ुद को ही सबसे बेहतर कहता था
कितनों ने हिटलर को बेहतर मान लिया।।
जो सारी दुनिया से छुप कर रहता है
सबने उस ईश्वर को बेहतर मान लिया।।
मन्दिर मस्जिद बेहतर हैं इनकार नहीं
हमने जब हर दर को बेहतर मान लिया।।
कम से कम वह मेरे दिल मे उतरा तो
यारों ने खंजर को बेहतर मान लिया।।
तुम बिन हमपे रोज कयामत आती है
तुमने किस महशर को बेहतर मान लिया।।
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