अभी तो सांझ का सूरज ढला है ,

अभी से रात गहराने लगी है।

कोई जुगनू तो आकर मुस्कुराये ,

उदासी आस पर छाने लगी है।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है