बिलकुल अनजाने लगते हो ।

तुम भी कितना बदल गए हो।।


कहाँ गया बेबाक ठहाका

अब धीरे से हंस देते हो।।


तुममे तुमको कैसे ढूंढ़े

कितना गलत पता देते हो।।


आज मिटा तो भेद दिलों से

शिकवे गिले लिए बैठे हो।।


प्रेम गली में हम रहते हैं

तुम भी कुछ दिन वहां रहे हो।।


हम जो भी हैं बतलाते हैं

तुम भी बोलो तुम कैसे हो।।


सुरेश साहनी,कानपुर

9451545132

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