ये हिन्दू मुसलमान वाले डरें हैं।

वो नफ़रत की दूकान वाले डरें हैं।।

ये ईसा ने बोला है सूली चढ़कर

भला किससे ईमान वाले डरे हैं।।

कहाँ भ्रम था शैतान वाले डरेंगे

यहां अल्ला भगवान वाले डरें हैं।

किसी ग़ैर से क्या डरेंगे कि अब तो

मिलने से  पहचान वाले डरें हैं।।

अभी डर है महफ़िल में बस्ती-शहर में

सुना था बियावान वाले डरे हैं।।

करोना है इबलीस का बाप इससे

अमेरिका ओ जापान वाले डरें हैं।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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