तनहा तनहा बैठे रहना।

अपने से ही रूठे रहना।।

क्या अच्छा है अपनों का दिल

तोड़े रहना टूटे रहना।।

यह भी अच्छी बात नहीं है

दिल में दर्द समेटे रहना।।

आओ कहीं टहल कर आये

देर तलक क्या लेटे रहना।।

गाँठ न रहने देना मन में

रिश्ते लेकिन गांठे रहना।।

चिंतन करना अलग बात है

उचित नहीं मन औटे रहना।।

चलो करें कुछ सदुपयोग है

व्यर्थ समय को काटे रहना।।

Suresh Sahani KANPUR

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