भईया!रंगी मामा चलि गइलन।फैक्टरिया में मशीनन के शोर में मोबाइल साफ़ नाही सुनाला।हम पुछलीं ,गुड्डू बोलSतारSS! 

ओहर से गुडुवे रहुवन।रतनपूरा  वाला रंगी मामा के मुअला के दुखद समाचार रहल।बढियां सुभाव रहल।वैसे उ हमार मामा ना रहुवें।उ हमरे पिताजी के मामा रहुवे।बाकी कुछ उनकर स्वभाव नीमन रहे।आ कुछ हमरे पिताजी ( बाबु जी )के जिला जवार में परिचय बढ़िया रहे।आ ओकरा पर जब से जेपी जी गोद लिहलें ,तहिये से मामा के सभे केहू मामे कहे लगल।आजु उनकर निधन सुनके मन बुता गईल।कुछ नीक नईखे लगत बावे।एक एक करके पुरान पीढ़ी चलल चल जात बा।माई के पिता जी के सोरी से जुड़ल आ जानकार केहू जाला ते सारा संसार निःसार लगे लागेला।बाकि का कईल जा।कमयियो करे के बा।आ जिला जवार भी देखेके बा।बाईस ले काम किरिया होई तब्बे जाईब।जय राम जी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है