भारतीय दर्शनों में छः दर्शन अधिक प्रसिद्ध हुए-महर्षि गौतम का #न्याय’, कणाद का ‘#वैशेषिक’, कपिल का ‘#सांख्य’, पतंजलि का ‘#योग’, जैमिनि की #पूर्वमीमांसा और  ‘#वेदान्त’। ये सब वैदिक दर्शन के नाम से जाने जाते हैं, क्योंकि ये वेदों की प्रामाणिकता को स्वीकार करते हैं। इन्हें आस्तिक दर्शन भी कहा जाता है।यद्यपि वेद में कहीं भी ईश्वर की सगुण रूप मैं अराधना का उल्लेख नहीं है, अलबत्ता प्रकृति को देवता जरूर कहा गया है।

इसके अतिरिक्त  तीन अन्य दर्शन है जो तर्क और वैज्ञानिकता पर बल देते हैं।इन्हें नास्तिक दर्शन कहा गया।इन्हें #चार्वाक,  #जैन और #बौद्ध दर्शन के नाम से जाना जाता है। विद्वान पंडित कुमारिल भट्ट ने नास्तिक दर्शनों को उपयोगी बताते हुए कहा है कि इनसे अवैज्ञानिक बुराईयों और धर्म के दुरूपयोग को रोकने में मदद मिली।

कालांतर में वेदों से इतर सगुण स्वरूपों की आराधना के साथ अनेक मत-मतान्तरों का भी जन्म हुआ।ठीक इसी प्रकार आने वाले समय मे सुरेश साहनी के #समन्वयवाद की चर्चा होगी।

#समन्वयवाद के सूत्र

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