फिर वही बातें पुरानी ।
फिर वही भूली कहानी।।
क्यों नहीं हम भूल जाते
वो तेरी यादें सुहानी।।
जिंदगी कुछ ऐसे बीती
जैसे गुजरे राजधानी।।
सच रहे कितने जमीनी
ख़्वाब कितने आसमानी।।
तुम न थे तो दूसरे थे
जिंदगी तो थी बितानी।।
उम्र संघर्षों में गुजरी
क्या लड़कपन क्या जवानी।।
क्या बताएं हम गलत थे
या जवानी थी दिवानी।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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