डर कोई उसके ख़यालों में जाके बैठ गया।

फिर वो इब्लीस के पालों में जाके बैठ गया।।

वो अंधेरों में दगा देगा मुझे मालुम था

मेरा साया तो उजालों में जाके बैठ गया।।

जिसको सोचा था वो मरहम है मसीहा है वही

दर्द बनकर मेरे छालों में जाके बैठ गया।।

पास थे जिसके ज़वाबात ज़माने भर के

सुन के नासेह की सवालों में जाके बैठ गया।।


सुरेशसाहनी, कानपुर

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