तेरी रुसवाई का डर भी मुझे सताता है 

अदलिया लोग भी सच बोलने नहीं देते।।

मैं चाहता हूँ भुला दूँ किसी तरह तुझ को

मेरे गुनाह  मुझे    भूलने नहीं देते।।


सुरेशसाहनी, कानपुर (सन1998)

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