अबके  सूखी  ईद रहेगी।

फिर भी कुछ उम्मीद रहेगी।।

बिस्तर होगा यादें होंगी

गायब लेकिन नींद रहेगी।।

 धुन्ध, कुहासे,बदरी, चंदा

 जाने  कैसी  दीद रहेगी ।।

अब नफ़रत इतनी हावी है

प्रीत की रीत पलीद रहेगी।।

बेटा अब उस देश न जाना

होंगे तो  उम्मीद रहेगी ।।

कंस दुःशासन ख़ाक मिटेंगे

फितरत अगर यज़ीद रहेगी।।

राशन पर साँसें देने की

सरकारी   ताक़ीद रहेगी।।

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