जब भी दिल के करीब आना हो।

ऐसे आना कि फिर न जाना हो।।


इश्क़ करना तो जान दे देना

जान लेना अगर पता ना हो।।


इश्क़ की ठोकरों में रहता है

तख़्त हो ताज हो खज़ाना हो।।


मुझ को ऐसी ग़ज़ल बना लो तुम

उम्र भर जिसको गुनगुनाना हो।।

 

प्यार करना तो याद भी रखना

दूर रहना अगर भुलाना हो।।


इम्तहानों से हम नहीं डरते

आज़मा लो जो आजमाना  हो।।


इश्क़ ऐलान करके ही करना

या न करना अगर छुपाना हो।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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