उनकी आंखों में ख़ुमारी भी रहे।

और अपना ख़्वाब तारी भी रहे।।


यूँ मिलो जैसे कि बिछुड़े कब के हो

और ये एहसास जारी भी रहे।।


आप का भी मान रह जाये सनम

और कुछ लज्जत हमारी भी रहे।।


दिल की दौलत से भले धनवान थे

इश्क़ में उनके भिखारी भी रहे।।


कुछ हमारा नाम भी हो इश्क़ में

और कुछ शोहरत तुम्हारी भी रहे।।


सुरेश साहनी कानपुर

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