कौन सी तस्वीर देखी आपने।

क्या हमारी पीर देखी आपने।।

हर तरफ खुशहालियाँ रंगीनियां

क्या कोई जागीर देखी आपने।।

नित्य लूटी जा रही है अस्मिता

सिर्फ बढ़ती चीर देखी आपने।।

भूख सुरसा सी खड़ी है हर तरफ

फिर कहाँ से खीर देखी आपने।।

अपनी आदत है गुलामी सोचिए

क्या कहीं जंज़ीर देखी आपने।।

मुल्क़ की किस्मत में अच्छे दिन भी हैं

कौन सी तक़दीर देखी आपने।।

आप आखिर किस लिए बेचैन हैं

क्या नई तहरीर देखी आपने।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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