खुद को यूँ भी तलाशता हूँ मैं।
शब्द दर शब्द जूझता हूँ मैं।।
चैन से सो सकें मेरे अपने
इसलिए रात जागता हूँ मैं।।
तुम जबाबों में खोजते हो मुझे
और सवालों में भटकता हूँ मैं।।
इस क़दर टूटकर न चाहो मुझे
वरना समझूँगा देवता हूँ मैं।।
किसी पत्थर से सच नहीं कहता
जानता हूँ कि आईना हूँ मैं।।
मैं तेरा इन्तिज़ार कर लूँगा
आख़िरश तुझको चाहता हूँ मैं।।
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