एक कली मुस्काई हो तो।

भँवरे की बन आयी हो तो।।


फूल खिले होंगे हर सूरत

वो उपवन में आई हो तो।।


यूँ तो इक डाली लचकी है

ये उसकी अँगड़ाई हो तो।।


क्या मैं ही इक बेइमां हूँ

मौसम भी हरजाई हो तो।।


गुल बुलबुल से मिल ले उस पर

कोयल की शहनाई हो तो।।


दिल जिस से मिल जाये बेहतर 

उस से ही कुड़माई हो तो।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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