ज़र न असबाब लिए हैं उनसे।।
सिर्फ़ कुछ ख़्वाब लिए हैं उनसे।।
एक दो बूंद नहीं अश्कों के
दिल ने सैलाब लिए हैं उनसे।।
एक हल्की सी खुशी के बदले
कितने आसाब लिए हैं उनसे।।
सिर्फ इक दिल की तसल्ली के
दर्द -ओ-अज़ाब लिए हैं उनसे।।
इश्क़ क्या मौत के सामान कई
होके बेताब लिए हैं उनसे।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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