जीस्त आसान हो गई अपनी।

मौत मेहमान हो गई अपनी।।


हुस्न आया जवाल पर अपने

इश्क़ पहचान हो गयी अपनी।।


हुस्न बाहों में इस तरह आया

साँस लोबान हो गयी अपनी।।


नफ़्स अपनी हैं धड़कने अपनी

और वो जान हो गई अपनी।।


इक ज़रा से सुकून की ख़ातिर

जान कुर्बान हो गई अपनी।।


सुरेश साहनी ,कानपुर

9451545132

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