जान आशिक़ की प्यास ही लेगी।
घर जो सहरा के पास ही लेगी।।
वो नदी है कहीं से भी गुज़रे
इक समंदर तलाश ही लेगो।।
ताबिशे-शौक मोम कर देगा
संगदिल भी तराश ही लेगी।।
उसने दिल मांग के गुनाह किया
जबकि तय था असास ही लेगी।।
मौत क्या रूह का बिगाड़ेगी
सिर्फ़ फानी लिबास ही लेगी।।
सुरेश साहनी ,कानपुर
9451545132
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