लकड़ी घास जले जाते हैं।

हम बेलौस जिए जाते हैं।।

किसको कितना दुःख होता है

केवल घाट चले जाते हैं।।

सब माया है ,यह सच सुनकर

धन एकत्र किये जाते हैं।।

अब आक्रोश नहीं होता है

बस अख़बार पढ़े जाते हैं।।

कुछ मर गए सहज प्रक्रिया है

जब पत्ते फेंटे जाते हैं।।

दुःख-सुख में समदर्शी बनकर

दो दो पैग लिए जाते हैं।।

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